Pradosh Vrat Katha 2025: प्रदोष व्रत की कथा, महत्व और कार्य चार जानें

प्रदोष व्रत की कथा और कार्य विधि जानें, जो ना केवल की कृपा प्राप्त करती है और जीवन की कृपा भी दूर करती है।

प्रदोष व्रत जो कि शिव और पार्वती की कृपा का प्रतिक चिन्न है, एक और माहत्वपूर्ण पवित्र की भांति के प्रती काल पर मनाया जाता है। इस व्रत के दिन भगवान और पार्वती की अराधना की जाती है।


Pradosh Vrat 2025 Dates / प्रदोष व्रत की तारीखें

Month Date
August 7 (Wednesday)
August 21 (Wednesday)
September 5 (Friday)

Pradosh Vrat Katha / प्रदोष व्रत की कथा

एक कथानक के अनुसार भगवान ने कालिन का जीवन चुरान्न किया, जिसमें कालिन ने निम्राण के अन्तिम प्रदोष की औराधना की थी। कालिन की भक्ति कार्यों से खुश हुए और जीवन और पार्वती औचारण की प्राप्ति की।


Puja Vidhi / पूजा विधि

  1. याम की नित्य का निकाल करें

  2. शुख्ल स्नान तैयार या बैठक पर बैठकर झोल जल, गंगा, धूप और चंदन चढाएं

  3. जीवन-पार्वती की आराधना कीजिए

  4. प्रदोष व्रत कथा की काथा सुनें


Significance / महत्व

  • जीवन और पार्वती की कृपा प्राप्त होती है

  • काल और कार्य जीवन की कृपा छुपाने के लिए

  • धार्मिक और जीवन की कृपा मिलती है

Disclaimer:

यह ब्लॉग जानकारी और धार्मिक चेतनाओं की जनकारी के लिए तैयार की गई है। www.finday.in का कोई धार्मिक क्रियाका औधिकार नहीं है। जानकारी के लिए कृपया कालीन ग्रंथित टैक्स्ट और ग्रंथित संकालन की पुष्टि से जांच कारी जाए।

Frequently Asked Questions

प्रदोष व्रत कब रखा जाता है?

प्रदोष व्रत हर माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। यह दिन भगवान शिव की पूजा के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।

अगस्त 2025 में प्रदोष व्रत की तिथि क्या है?

अगस्त माह में प्रदोष व्रत 6 अगस्त 2025 (बुधवार) को मनाया जा रहा है। यह एक शिव प्रदोष व्रत है।

प्रदोष व्रत की पूजा का सही समय क्या है?

पूजा का उत्तम समय त्रयोदशी तिथि की संध्या बेला होती है। 6 अगस्त को पूजन मुहूर्त शाम 7:05 बजे से रात 9:15 बजे तक है।

प्रदोष व्रत की कथा क्या है?

प्रदोष व्रत की कथा में बताया गया है कि जब समुद्र मंथन से हलाहल विष निकला, तब भगवान शिव ने संध्या समय (त्रयोदशी तिथि को) वह विष ग्रहण किया था और संसार की रक्षा की। इसी दिन को प्रदोष व्रत कहा जाता है।

प्रदोष व्रत में उपवास कैसे रखा जाता है?

व्रती पूरे दिन उपवास रखते हैं और संध्या समय भगवान शिव की पूजा कर व्रत कथा सुनते हैं। इसके बाद फलाहार या व्रत अनुकूल भोजन करते हैं।