मालेगांव ब्लास्ट केस में बड़ा फैसला: सभी 7 आरोपी NIA कोर्ट से बरी, कोर्टरूम से LIVE अपडेट!

मालेगांव विस्फोट मामले में NIA कोर्ट ने सभी 7 आरोपियों को बरी कर दिया है। जानें कोर्ट के इस अहम फैसले की लाइव अपडेट्स और इसका आगे क्या होगा असर।

ब्रेकिंग न्यूज़, 31 जुलाई 2025, सुबह 11:44 IST: मुंबई की विशेष NIA कोर्ट ने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है, जो 17 साल के कानूनी संघर्ष का अंत है। नवीनतम अपडेट के लिए बने रहें!

आज एक ऐतिहासिक फैसला सामने आया

31 जुलाई 2025, सुबह 11:44 IST के अनुसार, मुंबई की विशेष राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) कोर्ट ने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है। यह 17 साल के लंबे कानूनी संघर्ष का अंत है, जो 29 सितंबर 2008 को मालेगांव, महाराष्ट्र में एक मस्जिद के पास हुए बम विस्फोट के बाद शुरू हुआ था, जिसमें छह लोगों की मौत और 100 से अधिक घायल हुए थे। जज ए.के. लहोटी ने फैसला सुनाते समय कोर्टरूम में सन्नाटा छाया रहा, जो भारत के न्यायिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण है।

Summary: 31 जुलाई 2025 को NIA कोर्ट ने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया। इस विस्फोट में छह की मौत और 100 से अधिक घायल हुए थे, जिसकी जांच पहले महाराष्ट्र ATS और बाद में NIA ने की। कोर्ट ने अभियोजन पक्ष के साक्ष्य में असंगतियों और गवाहों के विरोधी बयानों के कारण बरी करने का फैसला सुनाया। अन्य आरोपी मेजर रमेश उपाध्याय, अजय रहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और समीर कुलकर्णी भी UAPA और IPC के तहत आरोपों से मुक्त हुए।

मुख्य आरोपी और आरोप

सातों आरोपियों पर गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) और भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत आतंकवाद, आपराधिक साजिश और हत्या जैसे गंभीर आरोप थे। इसमें शामिल हैं:

  • प्रज्ञा ठाकुर: भाजपा नेता और पूर्व सांसद, इस मामले की केंद्रीय हस्ती।

  • लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित: सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी, जिन पर शामिल होने का आरोप।

  • मेजर रमेश उपाध्याय: सेवानिवृत्त अधिकारी, साजिश से जोड़े गए।

  • अजय रहिरकर: पुणे के व्यवसायी।

  • सुधाकर द्विवेदी: कथित साजिशकर्ता।

  • सुधाकर चतुर्वेदी: मुकदमे का एक प्रमुख चेहरा।

  • समीर कुलकर्णी: पुणे के व्यवसायी, साजिश में सहायता के आरोप में।

NIA ने दावा किया था कि यह विस्फोट सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के लिए जानबूझकर किया गया था, लेकिन कोर्ट ने इसे साक्ष्य के अभाव में खारिज कर दिया।

कोर्टरूम से लाइव अपडेट

  • 11:19 पूर्वाह्न IST: फैसला शुरू; कोर्ट ने कहा कि विस्फोट साबित हुआ, लेकिन मोटरसाइकिल पर बम होने का प्रमाण नहीं।

  • 11:25 पूर्वाह्न IST: जज ने असंगतियों की ओर इशारा किया, जिसमें चोटिल लोगों की संख्या 101 से 95 तक कम की गई।

  • 11:31 पूर्वाह्न IST: सभी सात आरोपी बरी; कोर्ट ने विश्वसनीय साक्ष्य की कमी और संदेह का लाभ दिया।

  • 11:33 पूर्वाह्न IST: भावुक दृश्य, प्रज्ञा ठाकुर सहित आरोपी राहत के साथ कोर्ट से बाहर निकले।

यह फैसला विवादों को जन्म दे रहा है, कुछ इसे जांच की अखंडता पर सवाल उठा रहे हैं, तो कुछ इसे न्याय की जीत मान रहे हैं।

इस फैसले का महत्व

मालेगांव विस्फोट मामला, जिसकी शुरुआत महाराष्ट्र ATS ने की और 2011 में NIA को सौंपी गई, विवादों से भरा रहा है। 323 गवाहों में से 34 ने विरोधी बयान दिए, जिससे मुकदमे में चुनौतियाँ आईं। बरी करने का फैसला प्रारंभिक जांच और UAPA के उपयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है, जो अक्सर अपनी कठोरता के लिए आलोचना का विषय रहा है।

आगे क्या?

फैसले के बाद राजनीतिक नेताओं, पीड़ित परिवारों और जनता की प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं। मामला अपील के लिए उच्च न्यायालय जा सकता है। नवीनतम अपडेट के लिए बने रहें।

Disclaimer

यह ब्लॉग 31 जुलाई 2025 को मालेगांव विस्फोट मामले के फैसले पर लाइव अपडेट प्रदान करता है, जो कोर्टरूम रिपोर्ट्स पर आधारित है। आधिकारिक विवरण के लिए NIA या न्यायिक स्रोतों को देखें। यह सामग्री सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है और कानूनी सलाह का विकल्प नहीं है।

Frequently Asked Questions

कौन-कौन से आरोपी बरी हुए हैं?

प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित, और अन्य पांच रमेश उपाध्याय, अजय रहिरकर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी, और समीर कुलकर्णी बरी हुए हैं।

क्या यह फैसला अपील के लिए जा सकता है?

हाँ, NIA या पीड़ित पक्ष अपील कर सकते हैं, जो इसे उच्च न्यायालय तक ले जा सकता है।

क्यों आरोपियों को बरी किया गया?

कोर्ट ने अभियोजन पक्ष के साक्ष्य को अविश्वसनीय पाया, जिसमें असंगतियाँ और विरोधी गवाह थे।

2008 के विस्फोट का प्रभाव क्या था?

विस्फोट में छह की मौत और 100 से अधिक घायल हुए, जिसने मालेगांव की सांप्रदायिक सौहार्द को गहरा प्रभावित किया।